एक आशा
रम्या सत्यं पोतिरेड्डी
खुली अंधेरी रातों में,
चंचल हवा की आहट से,
अचानक मेरे खयालों में,
एक ऐसा विचार आया हैं|
चंचल हवा की आहट से,
अचानक मेरे खयालों में,
एक ऐसा विचार आया हैं|
जभी कोई दुःख आता हैं,
जब कुछ ठीक नहीं होता हैं,
तब क्यों हम हिम्मत खोते हैं?
मन में क्यों हलचल होती हैं?
जब कुछ ठीक नहीं होता हैं,
तब क्यों हम हिम्मत खोते हैं?
मन में क्यों हलचल होती हैं?
जवाब पता होने पर भी,
क्यों वही सवाल पे अटके हैं?
"यह मेरे साथ क्यों हुआ हैं?"
बस यहीं सवाल में डूबे हैं|
खोलके आँखे आगे देखो,
रोशन जीवन आगे हैं|
कदम बढाओ... आगे सोचो,
कामियाबी का पथ आगे हैं|
रोशन जीवन आगे हैं|
कदम बढाओ... आगे सोचो,
कामियाबी का पथ आगे हैं|
जब हम ऐसे विचार रखेंगे,
हमसे जीवन खुश होगा|
हमसे ही यह जीवन हैं और,
हमसे ही एक आशा हैं|
PS: My prize winning entry for SBH Rachana 2012 :)
No comments:
Post a Comment